Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Sep 2024 · 3 min read

बाल कहानी विशेषांक

बाल कहानी विशेषांक
शीर्षक:अर्जुन, तेजस की दुनियां

अर्जुन दौड़ता हुआ आया और धड़ाम से सोफे पर गिर पड़ा। कंधे पर स्कूल का बैग पैर में जूते बिना उतारे ही वह चुपचाप सोफे में मुॅंह धसाएं हुए पड़ा रहा।

मम्मी अर्जुन को देखते ही समझ गई कि आज इसका पहला पेपर था। शायद पेपर खराब हो गया इसी वजह से उदास है। मम्मी ने उसके पास बैठते हुए पूछा अर्जुन क्या हुआ बेटा?
पेपर में कोई प्रश्न समझ नहीं आया या आप लिख नहीं पाएं।
अर्जुन ने सोफे में मुॅंह धसाएं हुए कहा मम्मी पेपर तो मेरा अच्छा हुआ मुझे 8 ही सवाल करने थे 10 में से।
लेकिन मैंने 10 ही कर दिये क्योंकि अगर किसी में गलती होगी तो मैडम मुझे ज्यादा नंबर देंगी और मैं प्रथम आ जाऊंगा।
उसकी भोली- भाली बातों पर मम्मी हॅंसने लगी।
मम्मी ने उसे समझाया बेटा ऐसा नहीं होता अगर आपको 8 प्रश्न ही करने थे तो आपको नंबर भी 8 प्रश्न पर ही मिलेंगे।
अर्जुन ने खुश होते हुए जिज्ञासु प्रवृत्ति के अनुसार कहा नहीं मम्मी क्या पता मेरे किसी प्रश्न में कोई गलती हो तो मैडम उसकी जगह दूसरे सही प्रश्न पर मुझको ज्यादा नंबर दे दे। मम्मी उसके मासूम सवाल का जवाब नहीं दे पाई। मम्मी ने कहा चलो अच्छा है। तुम्हें 10 सवाल आते थे तुमने 10 कर दिए अब मैडम की मर्जी वह आपको कितने नंबर दे। पर इस तरह नाराज क्यों हो? अब तो बताओ मम्मी मैडम ने आज हमारी दौड़ नहीं करवाई और मैं इसलिए हाफ पैंट पहन कर गया था कि मैं अच्छे से दौड़ पाऊं और प्रथम स्थान प्राप्त करूं। लेकिन मैडम ने तो दौड़ नहीं करवाई मेरा सारा मूड खराब कर दिया।
मम्मी कहा अच्छा कोई बात नहीं आपकी कक्षा में सभी बच्चों की दौड़ नहीं हुई इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं।
अर्जुन ने कहा नहीं मम्मी मैंने इतनी तैयारी करी थी फर्स्ट तो मुझे आना ही था इसलिए दुख हो रहा है अगर मैडम दौड़ा देती तो मैं प्रथम स्थान पर आ जाता। मम्मी ने कहा चलो कोई बात नहीं!
दूसरे कमरे में तेजस गुनगुना रहा था मम्मी ने उसकी आवाज को सुनते हुए पूछा तुम्हारा पेपर कैसा हुआ? तेजस खुश होते हुए कहा बढ़िया! मम्मी बहुत बढ़िया।
मम्मी ने कहा अच्छा! बहुत बढ़िया क्या होता है? तेजस ने कहा मैंने सारे सवाल करें ।
मम्मी ने उत्साह पूर्वक कहा अच्छा !
कितने सही थे ।
यह नहीं पता मम्मी मुझे पर मुझे ठीक लग रहे थे। पर मैंने पेपर ठीक किया है। तेजस में अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा।
मम्मी ने तेजस से कहा इसका मतलब तुम्हें सारा पेपर नहीं आता था?
लेकिन मम्मी फिर भी बहुत आता था। बहुत मतलब! तेजस ने कहा मतलब
ठीक- ठीक आता था पास हो जाउंगा। आप फिक्र मत किया करो।
मम्मी ने फिर प्रश्न किया कितने सवाल तुमने छोड़ें? अब तेजस ने धीरे से उत्तर दिया पता नहीं! मम्मी दो या तीन। तेजस ने कुछ सोचते हुए कहा शायद अच्छे से मुझे याद नहीं?

मम्मी ने फिर अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा बेटा खाना खा लो बाद में पढ़ लेना।
उसने कहा नहीं मम्मी पहले मैं पढ़ लेता हूॅं फिर आराम से खाना खा लूंगा।
और तेजस बिना कहे ही खाने की थाली उठाकर खाने बैठ गया और कहने लगा पेपर तो परसों है कल की छुट्टी है मम्मी अभी से क्यों परेशान होना। अभी तो शाम है! कल है! मैं याद कर लूंगा। मम्मी मौन उन दोनों की अपनी-अपनी दुनिया के बारे में सोचने लगी।
अर्जुन जो एक बिंदु भी गलत होने पर घंटों -घंटों रोता है। और तेजस जो आधा प्रश्न पत्र कर कर भी खुद में बहुत खुश रहता है।
इन मम्मी दोनों को देखती रही और सोचती रहेगी कि दोनों की दुनिया कितनी अलग है!

हरमिंन्दर कौर
अमरोहा (उत्तर प्रदेश)

77 Views

You may also like these posts

विषय-जिंदगी।
विषय-जिंदगी।
Priya princess panwar
उसने  कहा जो कुछ  तो   पहले वो
उसने कहा जो कुछ तो पहले वो
shabina. Naaz
राजनीति
राजनीति
Bodhisatva kastooriya
सम्मानार्थ प्रविष्ठियां आमंत्रित हैं
सम्मानार्थ प्रविष्ठियां आमंत्रित हैं
Mukesh Kumar Rishi Verma
मुस्कान आई है ....
मुस्कान आई है ....
Manisha Wandhare
बीते हुए दिन बचपन के
बीते हुए दिन बचपन के
Dr.Pratibha Prakash
मर्यादाएँ टूटतीं, भाषा भी अश्लील।
मर्यादाएँ टूटतीं, भाषा भी अश्लील।
Arvind trivedi
*बाढ़*
*बाढ़*
Dr. Priya Gupta
हमारी भूले
हमारी भूले
C S Santoshi
कुण्डलियाँ छंद
कुण्डलियाँ छंद
पंकज परिंदा
आत्म जागरूकता कोई उपलब्धि हासिल करना नहीं है, बस आप स्वयं को
आत्म जागरूकता कोई उपलब्धि हासिल करना नहीं है, बस आप स्वयं को
Ravikesh Jha
सखि आया वसंत
सखि आया वसंत
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
Dr. Rashmi Jha
कलयुग की छाया में,
कलयुग की छाया में,
Niharika Verma
"कमाल"
Dr. Kishan tandon kranti
श्याम वंदना
श्याम वंदना
Sonu sugandh
सरस्वती वंदना-2
सरस्वती वंदना-2
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मौत पर तो यक़ीन है लेकिन ।
मौत पर तो यक़ीन है लेकिन ।
Dr fauzia Naseem shad
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
manorath maharaj
पैसे के बिना आज खुश कोई कहाॅं रहता है,
पैसे के बिना आज खुश कोई कहाॅं रहता है,
Ajit Kumar "Karn"
It is what it is
It is what it is
पूर्वार्थ
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
तेरी चेहरा जब याद आती है तो मन ही मन मैं मुस्कुराने लगता।🥀🌹
जय लगन कुमार हैप्पी
बाल कविता: मदारी का खेल
बाल कविता: मदारी का खेल
Rajesh Kumar Arjun
जीभ/जिह्वा
जीभ/जिह्वा
लक्ष्मी सिंह
जो प्राप्त है वो पर्याप्त है
जो प्राप्त है वो पर्याप्त है
Sonam Puneet Dubey
इक चमन छोड़ आये वतन के लिए
इक चमन छोड़ आये वतन के लिए
Mahesh Tiwari 'Ayan'
तुम से ज़ुदा हुए
तुम से ज़ुदा हुए
हिमांशु Kulshrestha
🙅एक शोध🙅
🙅एक शोध🙅
*प्रणय*
बड़े खुश हैं हम
बड़े खुश हैं हम
sushil sharma
2831. *पूर्णिका*
2831. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...