मैं, मेरी मौत!!
“मैं और मेरी मौत”
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ऐ मौत! जब भी आना तो,
चुपके से तुम, मत आना।
आना जब भी तुम अगर,
हँस के ही मेरे पास आना।
सिर पे मेरे हाथ रखकर,
फिर धीरे से तुम सहलाना।
डर जाऊँ मैं गर देख तुझको,
मुझको थोड़ा-सा धीरज बँधाना।
रो दूँ अगर, तुमको सोचकर,
तुम धीरे से,मुझको हँसाना।
मौत की घड़ी जब भी मेरे निकट हो,
तुम हल्का-सा गुलों सा मुस्कुराना।
भले कोई मेरे न निकट हो,
देख “निश्छल” को तुम खिलखिलाना।
मौत जब भी हो मेरी तो,
गीत हौसलों(जज्बों) के गुनगुनाना।
©मौलिक एवम् स्वरचित
अनिल कुमार
“निश्छल”
शिवनी,कुरारा
हमीरपुर(उ०प्र०)
7458955275