मैं भी खेलूँ बनकर बच्चा…
मैं भी खेलूँ बनकर बच्चा,
खेल दिखाऊँ सच्चा सच्चा,
उछल कूद मस्ती ले संग संग,
जीवन में भर लूँ नव नव रंग,
जो हैं थोड़ा थोड़ा तनाव,
भूल जाऊँ काम का दबाव,
उमंग उत्साह मन में भरकर,
आगे बढूँ सब निराशा हरकर,
पल पल जी लूँ खुश होकर,
कल कल के कलरव छोड़कर,
जो मिला उसे ले चलूँ,
भलाई हो या बुराई सहलूँ,
अपने कर्म को स्वयं साधकर,
पथ की मुश्किलों को लाँघकर,
पहुँचता हूँ मंजिल के पास,
सफलता की ले छोटी आस,
कभी न भूलूँ जो मिला स्नेह,
कैसा अभिमान ? ये तो माटी की देह,
बढ़े चलो जीवन के पथ पर,
बैठ सुख दुःख के रथ पर,
मैं भी खेलूँ बनकर बच्चा,
खेल दिखाऊँ सच्चा सच्चा,