मैं दिल से सिर्फ तुमको तुमको ही चाहती हूँ।
मैं दिलसे सिर्फ तुमको तुमको ही चाहती हूँ।
तुमको ख़ुदा की मैं तो परछाई मानती हूँ।
तेरी ये बेरूख़ी भी मेरी तो जान लेगी,
तेरे ख़याल में ही सोती न जागती हूँ।
अब मान भी तो जाओ मुझको न यूँ सताओ,
मैं चैन पाती हूँ तभी ख़ुश तुमको देखती हूँ।
जितना मैं लड़ झगड़ लूँ लेकिन सुनो सजनजी,
असली ख़ुशी तुम्हारी बाँहों में मानती हूँ।
अनमोल है तुम्हारा मुझसे ये प्रेम रिश्ता,
ईश्वर तुम्हें समझकर करती मैं आरती हूँ।
शृंगार करके तुमपर तन मन मैं वार दूँगी,
किस्मत से तुम मिले हो इतना मैं जानती हूँ।
मेरे ही बनके जन्मों जन्मों तलक रहो तुम,
रिश्ता अटूट है ये बेशक मैं सोचती हूँ।
-लक्ष्मी सिंह