मैं तुम्हारी प्रिये, मेरे प्रधान चौकीदार हो तुम !
मेरे ख्वाबो के समन्दर के सरताज हो तुम,
मेरे सारे पिन कोड का राज हो तुम |
जब देखती हूं खुद को आइने में ,
मेरी खूबसूरती का ताज हो तुम |
मेरे हर गम का इलाज़ हो तुम ,
हर पल हर घड़ी का साज हो तुम |
मेरे बिखरे ,उलझे बालो का प्यार हो तुम ,
मेरी नशीली आँखो का जाम हो तुम |
मेरे सीने का धड्कता मह्ताब हो तुम ,
हर साँसों की सुगंध का गुलाब हो तुम |
मेरे होंठों मे सिमटती हंसी का गुबार हो तुम ,
मेरी ली हुयी सांन्सो का हिसाब हो तुम |
तुम ही तुम मुझमे मेरा हर किरदार हो तुम ,
मैं तुम्हारी प्रिय तुम ही मेरे चौकीदार हो |
युक्ति वार्ष्णेय “सरला”
मुरादाबाद