मैं तुम्हारी क्या लगती हूँ
सपनों में मुस्काने वाली
दिल में तड़प जगाने वाली
माथे पर सावन की सांँसें
कुछ ही दिनों में पाने वाली
आज अचानक पूछ रही है
मैं तुम्हारी क्या लगती हूंँ ?
उम्मीदों के मोती उसकी
आँखों में तकते रह जाना
अपने मन का अर्थ हमेशा
बातों में तकते रह जाना
जीजी के मोबाइल से उन
दस अंकों को कॉपी करना
व्हाट्सएप पर उस गलियारे को
ग़ालिब के रंगों से भरना
कितना कुछ करवाने वाली
पास पिया के जाने वाली
फिर भी यमुना तट पर आकर
कान्हा से, बरसाने वाली
आज अचानक पूछ रही है
मैं तुम्हारी क्या लगती हूंँ ?
-आकाश अगम