Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2024 · 1 min read

मैं तुम्हारी क्या लगती हूँ

सपनों में मुस्काने वाली
दिल में तड़प जगाने वाली
माथे पर सावन की सांँसें
कुछ ही दिनों में पाने वाली
आज अचानक पूछ रही है
मैं तुम्हारी क्या लगती हूंँ ?

उम्मीदों के मोती उसकी
आँखों में तकते रह जाना
अपने मन का अर्थ हमेशा
बातों में तकते रह जाना
जीजी के मोबाइल से उन
दस अंकों को कॉपी करना
व्हाट्सएप पर उस गलियारे को
ग़ालिब के रंगों से भरना
कितना कुछ करवाने वाली
पास पिया के जाने वाली
फिर भी यमुना तट पर आकर
कान्हा से, बरसाने वाली
आज अचानक पूछ रही है
मैं तुम्हारी क्या लगती हूंँ ?
-आकाश अगम

3 Likes · 55 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अच्छा लगना
अच्छा लगना
Madhu Shah
अपने माथे पर थोड़ा सा सिकन रखना दोस्तों,
अपने माथे पर थोड़ा सा सिकन रखना दोस्तों,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
World Books Day
World Books Day
Tushar Jagawat
it is not about having a bunch of friends
it is not about having a bunch of friends
पूर्वार्थ
~ग़ज़ल ~
~ग़ज़ल ~
Vijay kumar Pandey
■ मोहल्ला ज़िंदा लोगों से बनता है। बस्ती तो मुर्दों की भी होत
■ मोहल्ला ज़िंदा लोगों से बनता है। बस्ती तो मुर्दों की भी होत
*प्रणय प्रभात*
बचपन,
बचपन, "बूढ़ा " हो गया था,
Nitesh Kumar Srivastava
और भी हैं !!
और भी हैं !!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
ग़ज़ल _ रूठते हो तुम दिखाने के लिये !
ग़ज़ल _ रूठते हो तुम दिखाने के लिये !
Neelofar Khan
3136.*पूर्णिका*
3136.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप
वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप
Ravi Yadav
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
मूझे वो अकेडमी वाला इश्क़ फ़िर से करना हैं,
Lohit Tamta
नहीं समझता पुत्र पिता माता की अपने पीर जमाना बदल गया है।
नहीं समझता पुत्र पिता माता की अपने पीर जमाना बदल गया है।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं तो महज इतिहास हूँ
मैं तो महज इतिहास हूँ
VINOD CHAUHAN
कुछ लोग मुझे इतना जानते है की मैं भी हैरान हूँ ।
कुछ लोग मुझे इतना जानते है की मैं भी हैरान हूँ ।
Ashwini sharma
बदनाम शराब
बदनाम शराब
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
वह कहते हैं, बच कर रहिए नज़र लग जाएगी,
वह कहते हैं, बच कर रहिए नज़र लग जाएगी,
Anand Kumar
♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️
♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️
Dr Archana Gupta
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
धनतेरस जुआ कदापि न खेलें
कवि रमेशराज
*गाफिल स्वामी बंधु हैं, कुंडलिया-मर्मज्ञ (कुंडलिया)*
*गाफिल स्वामी बंधु हैं, कुंडलिया-मर्मज्ञ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
@ खोज @
@ खोज @
Prashant Tiwari
हम सब की है यही अभिलाषा
हम सब की है यही अभिलाषा
गुमनाम 'बाबा'
🎊🏮*दीपमालिका  🏮🎊
🎊🏮*दीपमालिका 🏮🎊
Shashi kala vyas
I dreamt of the night we danced beneath the moon’s tender li
I dreamt of the night we danced beneath the moon’s tender li
Manisha Manjari
प्रतीक्षा, प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा
प्रतीक्षा, प्रतियोगिता, प्रतिस्पर्धा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
Swara Kumari arya
ठहरी - ठहरी जिन्दगी,
ठहरी - ठहरी जिन्दगी,
sushil sarna
"साहस"
Dr. Kishan tandon kranti
सब की नकल की जा सकती है,
सब की नकल की जा सकती है,
Shubham Pandey (S P)
आवश्यक मतदान है
आवश्यक मतदान है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Loading...