मैं डूब गई थी रात ख्वाब के दरिया में
मैं डूब गई थी रात ख्वाब के दरिया में
किसी ने पलट कर देखा ही नहीं दरिया में
कोई रस्सी लाओ लाश निकालो
सड न जाए लाश कहीं दरिया में
ख्वाब के पानी को गंदला करना ठीक नहीं
तैर रहे थे दो हंस उसी दरिया में
~ सिद्धार्थ