मैं कीड़ा राजनीतिक
एक राजनीतिक विशेष मंच पर
एक नेता जी का भाषण प्रारंभ हुआ
सुरुआत में उन्होंने बड़े नखरीले अंदाज में
हाथ को हवा में ऐसे लहराया मानो
माछरों के झुंड को उड़ा रहे हो
नेता जी की यह तकलीफ देख
किसी बड़े दयावान ने बड़ी तेजी से
पंखे का मुख उनकी तरफ धूमया
तेज हवा लगते ही नेता जी के
सर से कुछ उछाल कर नीचे आया
नेता जी के गंजेपन का सच ऐसे सामने आया
वर्षों का छुपाय राज खुला जैसे मंच पर
नेता जी को थोड़ा क्रोध आया
पर क्रोध को काबू कर एक हाथ में माईक पकड़
बड़े जोर से चिलाये ……
नमस्कार नमस्कार नमस्कार
चूहे से भी सातीर , सुतुरमुर्ग से तेज
गिरगिट सा मैं रंग बदलू ,
खून चूसता जोंक से तेज
झूठे वादे खतरनाक इरादे
मैं कीड़ा राजनीतिक
माँगता हूँ खुले आम बोट |
नीरज मिश्रा “ नीर “ बरही मध्य प्रदेश