मैं और तुम
मैं और तुम
मैं प्यासा सागर तट का
मैं दर्पण हूँ तेरी छाया का
मैं ज्वाला हूँ तड़पन का
मैं राही हूँ प्यार मे भटका
मैं हूँ मौन इज़हार दर्द का
तुम धड़कन मेरे दिल की
तुम चाहत मेरे सपनो की
तुम दवा मेरे ज़ख्मी-दिल की
तुम छंद हो मेरे कविता की
तुम मंजिल मेरे जीवन की
मैं और तुम प्यास बुझायें
मैं और तुम हमराही हो जायें
मैं और तुम मन को बहलायें
मैं और तुम आपस मे समाये
मैं और तुम प्रेम गीत गायें
तुम और मैं बंधे बाँहों मे
तुम और मैं धड़कन मे
तुम और मैं मग्न अपने मे
तुम और मैं प्रेम बंधन मे
तुम और मैं साथ जीने-मरने मे
सजन