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1 Aug 2021 · 1 min read

मैं उड़ना चाहता हूं।।

मैं उड़ना चाहता हूं,
खुले आसमान में
आज़ाद पंछी की तरह।।

स्वछंद, निर्बाद।।
निर्विरोध।।

ऐसे ही जैसे पंछी उड़ता है।।

ना कहीं सीमाएं।।
ना रूकावटे।।

इस पेड़ से उस पेड़।।
इस देश से उस देश।।

मैं चूमना चाहता हुं।।
उन हवाओ को।।
जो आती है।।
हर तरफ़ से।।
हर दिशा से।।
लेकर खुशबू
हर जगह की, हर मिट्टी की।।

मैं छूना चाहता हूं।।
प्रकृति के हर रंग को।।
बिल्कुल बेदाग, निश्चल।।
ना प्रदूषण, ना गंदगी।।
ना हवाओं में जहर
ना गंदा पानी।।

मैं गले मिलना चाहता हूं।।
संसार के हर व्यक्ति के ।।
ना नफरतों का सैलाब।।
ना रंजिशो का दामन ।।
ना भाषा का अंतर।।
ना रंगो का भेद।।
ना वर्ण ना जाती।।
ना कोई विच्छेद।।।

मैं गले मिलना चाहता हूं।।

— विपिन कुमार ‘भारतीय ‘

Language: Hindi
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