Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2017 · 1 min read

मैं ईश्वर समदर्शी हूँ

गगन भी मै धरा भी मै
अमृत और हवा भी मै
जग का हूँ मै पालनकर्ता
मै जीवन और अर्थी हूँ।
मै ईश्वर समदर्शी हू।।

चन्द्र भी मै सूरज भी मै
पर्वत और पनघट भी मै
हर एक जीव का मै रक्षक
मै सुख दुख का सार्थी हूँ।
मै ईश्वर समदर्शी हूँ।।

जीवन मै मृत्यु भी मै
गती और अवगती भी मैं
जीवन चक्र का मै चालक
साश्वत सत्य का पार्खी हूँ।
मैं ईश्वर समदर्शी हूँ।।

जल भी मै और थल भी मैं
आदि अनादि अनल भी मैं
सृष्टि का मै सृजन कर्ता
समय चक्र का चर्खी हूँ।
मैं ईश्वर समदर्शी हूँ।।

त्याग भी मैं बलिदान भी मैं
राग, द्वेष, अहंकार भी मैं
धर्म अधर्म की मै परिभाषा
धर्म भीरु परमार्थी हूँ।
मैं ईश्वर समदर्शी हूँ।।

राग भी मैं अनुराग भी मैं
बुद्धि विवेक, विज्ञान भी मैं
विज्ञाता विज्ञान विसारद
ज्ञान का मैं अभिब्यक्ति हूँ
मैं ईश्वर समदर्शी हूँ

तू भी मैं और मैं भी मैं
हम सब तुम सब सबकुछ मैं
मान अपमान का मै द्वैतक
मैं चरित्र पारदर्शी हूँ।
मैं ईश्वर समदर्शी हूँ।।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
वन उपवन हरित खेत क्यारी में
वन उपवन हरित खेत क्यारी में
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अच्छा है कि प्रकृति और जंतुओं में दिमाग़ नहीं है
अच्छा है कि प्रकृति और जंतुओं में दिमाग़ नहीं है
Sonam Puneet Dubey
शक्ति शील सौंदर्य से, मन हरते श्री राम।
शक्ति शील सौंदर्य से, मन हरते श्री राम।
आर.एस. 'प्रीतम'
तेज़
तेज़
Sanjay ' शून्य'
सावन भादों
सावन भादों
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2804. *पूर्णिका*
2804. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किस कदर
किस कदर
हिमांशु Kulshrestha
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
*सुबह हुई तो गए काम पर, जब लौटे तो रात थी (गीत)*
Ravi Prakash
कदम बढ़ाकर मुड़ना भी आसान कहां था।
कदम बढ़ाकर मुड़ना भी आसान कहां था।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
बेबसी!
बेबसी!
कविता झा ‘गीत’
आ रे बादल काले बादल
आ रे बादल काले बादल
goutam shaw
** वर्षा ऋतु **
** वर्षा ऋतु **
surenderpal vaidya
सुबह, दोपहर, शाम,
सुबह, दोपहर, शाम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तुम न समझ पाओगे .....
तुम न समझ पाओगे .....
sushil sarna
बेटी-पिता का रिश्ता
बेटी-पिता का रिश्ता
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
सत्य असत्य से कभी
सत्य असत्य से कभी
Dr fauzia Naseem shad
बेटी पढ़ायें, बेटी बचायें
बेटी पढ़ायें, बेटी बचायें
Kanchan Khanna
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
इतनी मिलती है तेरी सूरत से सूरत मेरी ‌
Phool gufran
हमे भी इश्क हुआ
हमे भी इश्क हुआ
The_dk_poetry
5) “पूनम का चाँद”
5) “पूनम का चाँद”
Sapna Arora
छह ऋतु, बारह मास हैं, ग्रीष्म-शरद-बरसात
छह ऋतु, बारह मास हैं, ग्रीष्म-शरद-बरसात
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
😊
😊
*प्रणय प्रभात*
सादगी अच्छी है मेरी
सादगी अच्छी है मेरी
VINOD CHAUHAN
- आम मंजरी
- आम मंजरी
Madhu Shah
अंतिम क्षण में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
अंतिम क्षण में अपना सर्वश्रेष्ठ दें।
Bimal Rajak
जीवन से पहले या जीवन के बाद
जीवन से पहले या जीवन के बाद
Mamta Singh Devaa
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
फागुन की अंगड़ाई
फागुन की अंगड़ाई
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जीवन दिव्य बन जाता
जीवन दिव्य बन जाता
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
तुम्हारी याद तो मेरे सिरहाने रखें हैं।
तुम्हारी याद तो मेरे सिरहाने रखें हैं।
Manoj Mahato
Loading...