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17 May 2023 · 1 min read

बेटी पढ़ायें, बेटी बचायें

मुनिया हो या रजिया,
वही शिकारी, वही जाल,
फँसी दंरिदों में बुलबुल,
सोच रहे मां – बाप,
कैसे बचायें लाडली अपनी,
कैसे बदलें यह हालात…. ….???

इसका है बस इतना हल,
न बनो, न बनाओ लाचार,
अपनी लाडली करो सुरक्षित,
पहनाकर शिक्षा का गहना,
देकर जागरूकता का हथियार !!!

रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत).
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)
दिनांक :- १५.०४.२०१८.

Language: Hindi
296 Views
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