मैं आज़ाद हुँ
वर्ण पिरामिड:-
मैं
चन्द्र
शेखर
आज़ाद हुँ
स्वाधीनता की
दीवानगी लिए
जलाता चराग हुँ।।
वो
क्या
जानते
मुझमे है
किस कदर
भभकते शोले
जलता मैं आग हुँ।।
तू
डर
कायर
मैं निडर
बांध मुष्टिका
फड़कती बांज़ू
कर्म से बेदाग हुँ।।
जो
कर्म
कर्तब्य
परायण
भारत माँ की
मस्त हवाओ में
बहता सा राग हुँ।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २१/१२/२०१८