“मेहबूब का ख़त”
आज सुबह का सलाम आया,
मेहबूब का खत मेरे नाम आया।
मुरझा सा गए थे हर ख़्वाब मेरे,
आज फिर दिल में कुछ अरमान आया।
सोचा वक्त ने भुला दिया उन्हें, मगर
आज चुपके से सावन का पैगाम आया।
ये ख़त भी कितनी अजीब चीज़ है,
लगा जिन्दगी का साजो-सामान आया।
ये मोहब्बत है इक जादू की पुड़िया,
इसी से जिन्दगी में कई मकाम आया।
-डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त 2022-23