मेला
तेरा गम आस पास रहता है
बाकी सब कुछ उदास रहता है
यूं तो मसरूफ़ तुमसे ज्यादा है
फिर भी मेरा वक्त तेरे नाम रहता है।
मेरा हर शब्द अब ख़ामोश है
मेरी ख़ामोशी में तेरा नूर है
जो मेरे अक्स में झलकता है
मन हर लम्हा पुकारता है तुम्हें
तन तेरी इबादत में झुका रहता है।
मुझसे ज्यादा मेरी तन्हाई जानती है तुम्हें
तेरी यादों का हर दम मेला लगा रहता है।