Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2021 · 2 min read

मेला

बच्चे अपने पिता के साथ मेला देखने गये। बच्चों ने देखा मेला चकाचौंध लगा हुआ है, मेले में मिठाई की दुकाने, खिलौने की दुकाने, झूले, और भी अन्य दुकाने देख बच्चे बड़े खुश हुए। अब बच्चे अपने पिता से खिलोने, मिठाई, झूले, सरकर्स आदि की जिद करने लगे। पिता ने बोला एक-एक करके सब कुछ दिलाऊंगा और मेला घूमने लगे। अब होता ये की पिता छोटे बच्चे को कुछ दिलाये तो बड़ा नाराज हो जाता, बड़े को कुछ दिलाये तो छोटा नाराज़ हो जाता। बच्चे ने बोला पिताजी रहने दीजिये इससे अच्छा तो हम अकेले ही घूम लेंगे। पिता ने बोला नाराज़ मत हो मेरे लिए आप सभी बराबर हो सब मिलेगा। इसी बीच मेला घूमते-घूमते अचानक बच्चो के हाथ से पिता की उंगली छूट गयी। बच्चे अलग-अलग भटक गए। बच्चे परेशान हो गए वो पिता को इधर -उधर ढूंढने लगे। अब बच्चे और परेशान हो गए, बच्चों को अकेला देख कुछ शरारती बच्चों ने उनसे मिठाई, खिलोने सब छीन लिए। बच्चे रोने लगे बच्चों को रोता देख कुछ लोग चुप कराने के लिए बहलाने के लिए पूछने लगे बेटा मिठाई चाहिए? बच्चे:- नहीं पिताजी चाहिए, खिलौने चाहिए? बच्चे:- नहीं पिताजी चाहिए। जब तक पिताजी साथ थे बच्चो को खिलोने, मिठाई, झूले सब चाहिए था, पिता के खोते ही बच्चे के लिए सारी मिठाई , खिलोने, झूलो का कोई मोल नही था। जो मिठाई, खिलोने बच्चों के पास थे वो भी कुछ शरारती बच्चों ने छीन लिया। अब बच्चों को पिता की कमी का पता चल रहा था। जब तक बीजेपी है जितने खिलोने लेने हैं ले लीजिए उंगली छूटने के बाद कुछ मिलना तो दूर जो खिलोने, मिठाई आपके पास है वो भी कुछ शरारती बच्चो (कांगीयों, वामपंथीयों, देशद्रोही तत्वों) के द्वारा छीन लिया जाएगा। फैसला आपका है उंगली तेज़ी से पकड़ना है या अकेले मेले में घूमना है।
✍️✍️मृत्युंजय कुमार

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 1 Comment · 451 Views

You may also like these posts

"मेरी बस इतनी सी अभिलाषा है"
राकेश चौरसिया
वंश चलाने वाला बेटा
वंश चलाने वाला बेटा
Shweta Soni
जख्म
जख्म
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मृत्योत्सव
मृत्योत्सव
Acharya Rama Nand Mandal
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
आजकल के बच्चे घर के अंदर इमोशनली बहुत अकेले होते हैं। माता-प
पूर्वार्थ
go88xncom
go88xncom
go88xncom
सोचा था एक घर होगा, घर में खुशियाँ अपार होंगी।
सोचा था एक घर होगा, घर में खुशियाँ अपार होंगी।
श्याम सांवरा
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
भारत
भारत
Ashwini sharma
2730.*पूर्णिका*
2730.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दग़ा तुमसे जब कोई, तेरा हमख़्वाब करेगा
दग़ा तुमसे जब कोई, तेरा हमख़्वाब करेगा
gurudeenverma198
कई रंग दिखाती है ज़िंदगी हमें,
कई रंग दिखाती है ज़िंदगी हमें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नजराना
नजराना
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
"समझाइश "
Yogendra Chaturwedi
इस बार माधव नहीं है साथ !
इस बार माधव नहीं है साथ !
सुशील कुमार 'नवीन'
परमगति
परमगति
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
नया साल
नया साल
'अशांत' शेखर
നിശാഗന്ധി.
നിശാഗന്ധി.
Heera S
*रात से दोस्ती* ( 9 of 25)
*रात से दोस्ती* ( 9 of 25)
Kshma Urmila
"आजादी जिन्दाबाद"
Dr. Kishan tandon kranti
ब्रह्मांड अस्तित्व
ब्रह्मांड अस्तित्व
Mahender Singh
*आदिशक्ति का अंश*
*आदिशक्ति का अंश*
ABHA PANDEY
कहते हैं सब प्रेम में, पक्का होता आन।
कहते हैं सब प्रेम में, पक्का होता आन।
आर.एस. 'प्रीतम'
पूर्ण सत्य
पूर्ण सत्य
Rajesh Kumar Kaurav
बुरा लगे तो मेरी बहन माफ करना
बुरा लगे तो मेरी बहन माफ करना
Rituraj shivem verma
+जागृत देवी+
+जागृत देवी+
Ankit Halke jha
सावन भादो
सावन भादो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हुस्न छलक जाता है ........
हुस्न छलक जाता है ........
Ghanshyam Poddar
दोहा त्रयी. . .
दोहा त्रयी. . .
sushil sarna
"कटेंगे तो प्रसाद में बटेंगे,
*प्रणय*
Loading...