मेरे ख़ुदा तुम कभी भी न बदलना
नज्म-मेरे ख़ुदा तू कभी भी न बदलना।
दिल की बात दिल में ही रखना,
चाहें पड़े घुट घुट के मरना।
बात आ गयी जुबां पर अगर,
बिन वजह लोगों की सुनना।
यूँ तो मौलिक अधिकार है सबका,
भावनाएं अपनी व्यक्त करना।
न जानें क्यूँ लोग लगाते हैं बंदिश,
फिर अपनी ताकत का दम्भ भरना।
बहुत मुश्किल होता है कभी कभी,
मुखोटों में छिपे चेहरे को पढ़ना।
ठीक है जब तक करते रहो हाँ में हाँ,
‘न’ करते ही लोगों की आंखों में अखरना।
सप्तरंगी दुनिया में बदलते रंग इंसानों के,
आसान नहीं यहाँ हर रंग को समझना।
चाहें बदल जाए दुनिया कितनी भी,
मेरे ख़ुदा तू कभी भी न बदलना।
तेरे प्यार की छत्रछाया में सुरक्षित रहें,
‘रब’ अपनी मेहर सदा बरसाए रखना।
By: Dr Swati Gupta