मेरे हमदम
मेरे हमदम
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आंखों ने नैनों की नींद चुराई हमदम,
बातों ही बातों में तुमने
दिल भी चुराया सनम—
ख़ामोश हूं, सैलाब हूं मैं ,
दुःख का एक सागर हूं मैं।
जब पीड़ा दिल में होती है,
लहरों सी तरंगों उठती हैं—–
कुछ पल को ठहर कर में,
सागर के किनारों को
निहारा करती हूं मैं।
ग़म का दरिया बन के,
सागर में समा जाती हूं मैं—-
सूने पथ पर चलकर,
तेरी राह देखती हूं मैं।
बैठी पेड़ की छांव तले,
कुसुमों से पल्लवित कर।
उस पथ को सजाती हूं मैं,
बस!तेरा इंतजार करती हूं मैं।
इंतजार करती हूं मैं!!!!
आंखों ने नैनों की नींद—-
चुराई हमदम——-
सुषमा सिंह *उर्मि,,