मेरे भाव
मेरे भाव जब तुम
समझने लग जाओगी
फिर किसी और की नहीं
सिर्फ मेरी बन जाओगी
कड़वा बोलता हूँ
सिर्फ तुम्हारे लिए बोलता हूँ
तुम मुझ में नहीं
मेरी आत्मा में बसती हो
जब यह बात समझ जाओगी
तो सिर्फ मेरी बन जाओगी
बुरा तुम्हारा नहीं चाहता
क्योंकि हद से ज्यादा तुम्हें चाहता
जब यह बात समझ जाओगी
तब तुम सिर्फ मेरी बन जाओगी
मैं दर्दों को पीता हूँ
और दर्दों में जीता हूँ
तुम उन दर्दों को ना महसूस करो
बस यही चाहता हूँ
जब यह बात समझ जाओगी
तो बस मेरी बन जाओगी
तू पहले है राम कोख में
और साथ खड़े परशुराम कोख में
तू मेरी दशा जब महसूस करेगी
सच कहता हूँ
तू जग से ज्यादा मेरी बन जाएगी
मैं पागल हूँ तुझको लगता होगा
मैं दीवाना हूँ तेरा ये दिखता होगा
मैं जादूगर हूँ ये मन कहता होगा
तू अब तक भी ना समझ सकी है
और मैं अब तक बिना बता सका हूँ
तुम धीर धरो और वीर जानो
ये कुल समाज और धर्म तुम्हारा
सब गायेंगे यशगान तुम्हारा
मैं शायद तब नहीं रहूंगा
पर यादों में मैं खूब रहूंगा
तब तुम मुझको समझ सकोगी
तब तुम मेरी बिल्कुल होगी
मैं कोई नहीं हूँ कृष्ण मुरारी
ना मैं केशव तेरा प्यारी
मेरी बाते बुरी लगती है
मैं तो सखा निराला तेरा
ललकार भारद्वाज