मेरे प्यार की खुशबू
हमारी कोशिशें कम हों तो’ किस्मत हार जाती है
कहीं चप्पू बिना कश्ती, नदी के पार जाती है
किया वादा तो है उसने, मुझे मंदिर में मिलने का
अगर शनिवार जाऊं मैं, तो वो इतवार जाती है
ख़ुशी है आजकल रूठी मेरे आँगन मेरे घर से
गली मेरे मोहल्ले में, सभी के द्वार जाती है
वफ़ा की सब किताबों को, पढ़ा मैंने भी’ उसने भी
न जाने कौन से रस्ते, मेरी सरकार जाती है
समा जाती है धड़कन में, निकलती ही नहीं दिल से
ये मेरे प्यार की खुशबू, जहाँ इक बार जाती है