मेरे पिता जी
बहुत अच्छे थे मेरे पिता जी,
दिल के सच्चे थे मेरे पिता जी।
मेरी छोटी छोटी बातों का ख्याल रखते थे,
मुझे क्या चाहिए इसका ध्यान रखते थे।
मुझे इतने अच्छे संस्कार दिए ,
आज मैं जो भी हूं उन्ही की देन हैं वे इतना प्यार दिए ।
इतने सहनशील और मृदुभाषी थे वे,
सबका ख्याल रखते थे पर कुछ सन्यासी थे वे।
वे शिक्षक थे शिक्षा देना उनका काम था ,
इतनी कुशलता से पढ़ाते थे कि उनका नाम था।
मुझे इतना पढ़ाया लिखाया इस काबिल बनाया,
मेरे लिए आशमा को मेरे कदमों में झुकाया ।
मैं शिक्षिका व लेखिका हूं उन्ही की बदौलत,
उनका प्रेमभाव और शिक्षा यही है दौलत।
उनकी निष्ठा और त्याग को नमन करती हूं मैं ,
इसलिए नही की वे पिता थे मेरे वे थे ही ऐसे की दम भरती हूं।
आज वो हमारे बीच नहीं है उनकी कमी खलती है,
उनकी यादें आज भी मेरे दिल में पलती है।
मुझे गर्व है इसका की मैं उनकी बेटी हूं,
उनका प्यार दुलार अपने दिल में समेटी हूं।
उनकी कमियों को महसूस कर के रोती हूं मैं,
हर एक दिन याद कर के उनको सोती हूं मैं।
इतने महान थे मेरे पिता जी,
सच्चे इंसान थे मेरे पिता जी।
इतने अच्छे थे मेरे पिता जी,
दिल के सच्चे थे मेरे पिता जी ।