Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2024 · 2 min read

मेरे पापा

पिता आपके ऋण से मैं कैसे उऋण हो पाऊँगी l
इस सुख दुःख की पगडण्डी पे कैसे चल पाऊँगी ll
बचपन से लेके आजतक जब कोई उलझन आजाती थी l
सबसे पहले पापा मुझको आपकी याद ही आती थी ll
बिना रुके और बिना थके जो मेरी बाते सुनते थे l
पापा केवल आप ही थे जो मुझको लाड बहुत करते थे ll
एक चीज़ की मांग करो तो कितनी चीज़े ले आते थे l
अपने लिए कहाँ कुछ करते बस बच्चों की चिंता करते थे ll
बीमार पडूँ यदि मैं तो उनका हाल बेहाल हो जाता था l
जब तक पूरा सही न हो जाऊ उनको चैन कहाँ ही आता था ll
छुट्टी से जब घर को आओ तो कितना खुश हो जाते थे l
बिटिया को ये दो वो दो मम्मी के पीछे पड़ जाते थे ll
कर्तब्य निभाया सब पापा ने और जीवन बीता आदर्शों पर l
खूब सुने घर समाज के ताने पर बेदाग रहा पूरा जीवन ll
गलत मार्ग न खुद अपनाया न हमको इसकी शिक्षा दी l
भ्रस्ट तंत्र से खुद लड़ बैठे न प्राणो की चिंता की ll
कैसे और किन परिस्थतियों में पापा ने अपना प्यार दिया l
भयंकर पीड़ा में थे जब वो तब भी मेरी चोट बुखार का ध्यान रहा ll
जीवन भर जिस पिता ने मुझपर निःस्वार्थ प्रेम का बौछार कियाl
उसी पिता के अंतिम क्षण में मैंने क्या ही उनका साथ दिया ll
दुःख की एक चिंगारी से भी वो हमको जलने न कभी दिए l
उसी पिता की मृत देह को हम मर्णिकर्णिका में दाह दिए ll
अब न वो लाड रहा न बिटिया सुनने का सुख रहा l
मेरी छोटी मोटी हर कविता पर शाबाशी देने वाले पिता कहाँ ll
जीते जी पापा आपको मैं ये शब्द नहीं कह पायी थी l
माफ़ी मुझको देदो पापा क्युकी बस मुझे माँ की चिंता खाती थी ll
उपकार बहुत है कृष्णा का की मुझको ऐसे पिता दिए l
पर ह्रदय पे ऐसे आघात लगे ज्यूँ ज्यूँ उनकी चिता जले ll
हृदय टूट कर गिर जाता है जब जब पापा की फोटो देखुl
मन करता है की काश समय का पहिया उल्टा कर दू ll
हम सब माटी के पुतले हैं माटी में मिल जाना है l
पर मात पिता के बिना ये जीवन बस बंजर खेत खजाना है ll
नियति के खेल के आगे कौन भला टिक पाया है l
बस यह जीवन अब अंतिम हो मुझे वापस इस दुनिआ में नहीं आना है ll

Language: Hindi
83 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"बड़े-बड़े डेम, बिल्डिंग, पाइप-लाइन लीक हो जाते हैं। पेपर लीक
*प्रणय*
डूबे किश्ती तो
डूबे किश्ती तो
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
अनमोल रतन
अनमोल रतन
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
दुनिया
दुनिया
Mangilal 713
पत्तल
पत्तल
Rituraj shivem verma
*माँ शारदे वन्दना
*माँ शारदे वन्दना
संजय कुमार संजू
जगदाधार सत्य
जगदाधार सत्य
महेश चन्द्र त्रिपाठी
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
मेरी सुखनफहमी का तमाशा न बना ऐ ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"यायावरी" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
बस, अच्छा लिखने की कोशिश करता हूॅं,
Ajit Kumar "Karn"
तुझे देखा , तुझे चाहा , तु ही तो साथ हरदम है ,
तुझे देखा , तुझे चाहा , तु ही तो साथ हरदम है ,
Neelofar Khan
कहानी का ऐसा किरदार होना है मुझे,
कहानी का ऐसा किरदार होना है मुझे,
पूर्वार्थ
शरणागति
शरणागति
Dr. Upasana Pandey
कुंडलिया
कुंडलिया
आर.एस. 'प्रीतम'
शोर से मौन को
शोर से मौन को
Dr fauzia Naseem shad
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।
कुछ तुम बदलो, कुछ हम बदलें।
निकेश कुमार ठाकुर
*****सूरज न निकला*****
*****सूरज न निकला*****
Kavita Chouhan
जातिवाद का भूत
जातिवाद का भूत
मधुसूदन गौतम
वाह भाई वाह
वाह भाई वाह
Dr Mukesh 'Aseemit'
दोहा त्रयी. . . सन्तान
दोहा त्रयी. . . सन्तान
sushil sarna
कर्मफल भोग
कर्मफल भोग
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Maine Dekha Hai Apne Bachpan Ko!
Maine Dekha Hai Apne Bachpan Ko!
Srishty Bansal
न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत(हिंदी गजल/ गीतिका)
न दीखे आँख का आँसू, छिपाती उम्र भर औरत(हिंदी गजल/ गीतिका)
Ravi Prakash
*अग्निवीर*
*अग्निवीर*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
4201💐 *पूर्णिका* 💐
4201💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
क्या मेरा यही कसूर है
क्या मेरा यही कसूर है
gurudeenverma198
हम खुद में घूमते रहे बाहर न आ सके
हम खुद में घूमते रहे बाहर न आ सके
Dr Archana Gupta
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
Vedkanti bhaskar
"किनारे से"
Dr. Kishan tandon kranti
ऐसे रूठे हमसे कि कभी फिर मुड़कर भी नहीं देखा,
ऐसे रूठे हमसे कि कभी फिर मुड़कर भी नहीं देखा,
Kanchan verma
Loading...