मेरे दो अनमोल रत्न
मेरे दो अनमोल रतन
मेरे दो अनमोल रत्न
एक बेटी एक बेटा
बेटा मेरा पेड़ तो
बेटी मेरी हरियाली
बेटा सूरज की भाँति
बेटी मेरी चंद्रमा स्वरूप
बेटा का स्वभाव थल जैसा
बेटी मेरी निर्मल जल जैसा
अगर बेटा मेरी शान है
तो बेटी मेरा अभिमान है
बेटा मेरी पूरी तन काया
तो बेटी मेरी जान की भाँति
दोनों का एक सा है स्वरूप
निखरेगा दोनों का ही रूप
रंग में मत कर मतभेद
शिक्षा से होगा रूप अनेक
दोनों में खून मेरा है एक
बच्चों में मत करना भेद
बेटा-बेटी है एक समान,
दोनों करते जग निर्माण
दोनों को है पढ़ाना लिखाना
उसको मंजिल तक है पहुँचाना
समान शिक्षा समान प्यार
बेटी-बेटा एक समान ।
रंजीत कुमार पात्रे
कोटा बिलासपुर l