मेरे दर्दे दिल की दवा कीजिए।
गज़ल
काफ़िया- आ
रद़ीफ- कीजिए
122…..122…..122……12
खुदाया मेरे कुछ रज़ा कीजिए।
मेरे दर्दे दिल की दवा कीजिए।
नहीं दर्द है अब ये नासूर है,
दवा की जगह अब दुआ कीजिए।
तेरे प्यार में रतजगा मैं करूँ,
मेरे दर्दे दिल को बड़ा कीजिए।
किया दिल है चोरी गुनहगार हूँ,
सजा दीजिए या क्षमा कीजिए।
भला चाहते हो भला ही करो।
बुराई कभी मत किया कीजिए।
खुदा ने अगर चे दिया है तुम्हें,
दुखी दीन का कुछ भला कीजिए।
कोई डगमगाता है साथी अगर,
मदद हाथ आगे बढ़ा कीजिए।
किया कत्ल तेरा जो मैंने अगर,
सजा पूरी सूली चढ़ा कीजिए।
तेरा प्रेमी हूँ तू न कर ये सितम,
न जख्मों को मेरे हरा कीजिए।
…….✍️ प्रेमी