Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Feb 2024 · 1 min read

मेरे जैसा

मेरे जैसा

कुकड़ूँ कूँ कर मुर्गा बोला
जागो तुम भी मेरे जैसा।
किरण बिखेरता सूरज बोला
चमको तुम भी मेरे जैसा।
हँसते हुए फूल बोला
हँसते रहना सदा मेरे जैसा।
गुनगुनाता हुआ भौंरा बोला
गाओ तुम भी मेरे जैसा।
टिमटिमाता दीपक बोला
तम हरो जग से मेरे जैसा।
कल-कल करती नदी बोली
आगे ही बढ़ना सदा मेरे जैसा।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

1 Like · 171 Views

You may also like these posts

ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Dr. Bharati Varma Bourai
क्युँ हरबार ये होता है ,
क्युँ हरबार ये होता है ,
Manisha Wandhare
ज़िन्दगी में न थी
ज़िन्दगी में न थी
Dr fauzia Naseem shad
अपने - अपने नीड़ की,
अपने - अपने नीड़ की,
sushil sarna
हिदायत
हिदायत
Dr. Rajeev Jain
” क्या रिश्ता ये निभाते हैं ? “
” क्या रिश्ता ये निभाते हैं ? “
ज्योति
हमारी सोच
हमारी सोच
Neeraj Agarwal
यथार्थ से दूर का नाता
यथार्थ से दूर का नाता
Dr MusafiR BaithA
Red is red
Red is red
Dr. Vaishali Verma
"आतिशी" का "अनशन" हुआ कामयाब। घर तक पहुंचा भरपूर पानी।
*प्रणय*
चुभते शूल.......
चुभते शूल.......
Kavita Chouhan
*अभी और कभी*
*अभी और कभी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हर मौहब्बत का एहसास तुझसे है।
हर मौहब्बत का एहसास तुझसे है।
Phool gufran
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
कीमत क्या है पैमाना बता रहा है,
Vindhya Prakash Mishra
अधूरी ख्वाहिशें
अधूरी ख्वाहिशें
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
चांदनी न मानती।
चांदनी न मानती।
Kuldeep mishra (KD)
इल्म कुछ ऐसा दे
इल्म कुछ ऐसा दे
Ghanshyam Poddar
सत्य सनातन गीत है गीता
सत्य सनातन गीत है गीता
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मौत का डर
मौत का डर
Sudhir srivastava
- अब सबकुछ धुधला - धुधला लगता है -
- अब सबकुछ धुधला - धुधला लगता है -
bharat gehlot
3889.*पूर्णिका*
3889.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
"पैसा"
Dr. Kishan tandon kranti
*डमरु (बाल कविता)*
*डमरु (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जीवन के पल दो चार
जीवन के पल दो चार
Bodhisatva kastooriya
भक्त जन कभी अपना जीवन
भक्त जन कभी अपना जीवन
महेश चन्द्र त्रिपाठी
खुद को मैंने कम उसे ज्यादा लिखा। जीस्त का हिस्सा उसे आधा लिखा। इश्क में उसके कृष्णा बन गया। प्यार में अपने उसे राधा लिखा
खुद को मैंने कम उसे ज्यादा लिखा। जीस्त का हिस्सा उसे आधा लिखा। इश्क में उसके कृष्णा बन गया। प्यार में अपने उसे राधा लिखा
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
गुस्सा दिलाकर ,
गुस्सा दिलाकर ,
Umender kumar
जो गूंजती थी हर पल कानों में, आवाजें वो अब आती नहीं,
जो गूंजती थी हर पल कानों में, आवाजें वो अब आती नहीं,
Manisha Manjari
गर्मी बनाम चुनावी सरगर्मी
गर्मी बनाम चुनावी सरगर्मी
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Loading...