मेरे गुरु
एक माटी के पुतले को, तुमने इंसान बनाया
धन्य धन्य गुरु महिमा तेरी, जिन ईश्वर शीश झुकाया
पहली गुरु मां है मेरी, जिनने जगत दिखाया
बड़े प्यार से जिनने मुझको पहला शब्द सिखाया
दूजे गुरु पिता है मेरे, जिनने चलना सिखलाया
उनके ही संरक्षण में मैंने ,अपना व्यक्तित्व बनाया
दादा दादी नाना नानी ने, किस्से बहुत सुनाएं
मेरे कोमल मन में अमिट, हुए मन भाए
बढ़ा हुआ स्कूल गया ,गुरु ने पाठ पढ़ाया
नए नए पाठों से उनने, मेरा ज्ञान बढ़ाया
धर्म और अध्यात्म सभी ,मैंने उनसे ही पाया
उनके उच्च आदर्शों ने, मेरा जीवन महकाया
जो भी हूं मैं आज यहां पर, श्रम है मात पिता का
मेहनत और आदर्श गुरु के, नहीं भूलने पाया
नमन गुरु हे मात पिता ,तुम से ही सब कुछ पाया
एक माटी के पुतले को, तुमने इंसान बनाया