मेरे गाँव में एक मैना रहती हैं
मेरे गावं में एक मैना रहती हैं,!
सब कुछ चहाकर भी वो ना कहती
कुछ हसं कर कहती है ,
पर आवाज नहीं निकलती हैं उसकी
डरती है वो शायद उन से,
जो कांटा उसके लिए बने,
रो कर दिल बहलाती है
पर कहने से वो डरती है,
मेरे गांव में एक मेना रहती हैं,
वो ऐसे समझ जैसे हो गुलाब,
कोमल उसके हाथ है,
गांव मे ऐसे दिखे जैसे,
रात के तारो मे हो चाँद,
मेरे गाँव में रहती है एक मैना
हसंती ऐसे जैसे हो चंद्रमा,
सूरज उसकी बांहो मे,
में चला था सूरज की धूप,
में उसके दिल से ही जा टकराया
में घबराकर लोंगो से,
में वापस अपने घर को चला,
फिर रोज सूबह में आया चंद्रमा,
में दिल से उसके पास चला,
मुझे लगे ये दुनिया सारी अंधेरी,
जब तक उसको में ना देंखूं,
फिर नहीं मिले तो वो मुझ को
रोकर दिल बहलाता हुँ
एक बात सूनाओ तूम्हे यारो
मैं तोता उसका बन जाऊं
वो दाना हंस मुझे दे दे तो
मैं ये दुनिया उसकी कर जांव,
मेरे गांव में एक मेना रहती,
मै उसका तोता बन जाऊं,
वो हंस कर मेरे साथ चले,
में दुनियां उसकी कर जाऊं
लेखक = राजू खान [ राह राज ]