मेरे कविता से प्रेम
चंदा का चकोर से प्रेम,
पुष्प का मधुमक्खी से प्रेम,
सब चाहते ऐसा आभास
वसुंधरा में जिनका निवास ।
समझ नहीं पा रहा हूं,
समझा भी ना पाऊं ,
है , मेरे कविता से प्रेम ।
रवि का प्रकाश सागर में
है जीवन का आभास ।
मां के आंचल का स्नेह,
गर्मी में शीतलता का प्रसाद
है, मेरे कविता से प्रेम ।
छू सकूं जो नीला आसमां
जिसमे विचरण करते पंछी।
रहता ,संजोय नेत्र उत्कृष्ट सपना
अपनी रचना में दे सकेंगे प्राण।
थोड़ी बहुत परेशानी में
आस – पास का माहौल
मेरी कविताएं मुझको देती
मनोहर सा प्यारा एहसास ।।
गौतम साव