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30 Oct 2024 · 1 min read

“मेरे अल्फ़ाज़”

“मेरे अल्फ़ाज़”
आप आए न बहार आई,
हर घड़ी तेरी याद आई।
वस्ल की बदरिया का पता नहीं,
रह रह के आँखों में बरसात आई।

1 Like · 1 Comment · 16 Views
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