“मेरे अल्फ़ाज़”
“मेरे अल्फ़ाज़”
आप आए न बहार आई,
हर घड़ी तेरी याद आई।
वस्ल की बदरिया का पता नहीं,
रह रह के आँखों में बरसात आई।
“मेरे अल्फ़ाज़”
आप आए न बहार आई,
हर घड़ी तेरी याद आई।
वस्ल की बदरिया का पता नहीं,
रह रह के आँखों में बरसात आई।