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13 Sep 2018 · 1 min read

मेरी ज़िंदगी

मेरी जिन्दगी
भिखारी की फटी झोली
और मेरी जिंदगी
दोनों में बहुत तालमेल है।
उधर,उसके भाग्य की विडम्बना
इधर,मेरी नियति का खेल है।
उसकी फटी झोली
उसपर दर्जनों पैबन्द लगे है
रंग-बिरंगा, बदरंगा।
मेरी जिंदगी
कई मुखौटों से घिरी है
सभ्य,सलज, क्रूर,मोहक,बेढंगा।
उसकी तो झोली फ़टी है।
मेरी जिंदगी,घिसी-पिटी लुटी है।
विवशता के तले
हर किसी के आगे
वह अपनी झोली फैलाता है।
स्वार्थ के वशीभूत
सहजता के साथ मन
हर किसी को आजमाता है।
फिर भी अच्छी है उसकी झोली
गाहे-बगाहे, चन्द गिन्नियाँ तो आ गिरती है।
क्या मायने,मेरी जिंदगी का
तुष्टि-कभी पास न फिरती है।
-©नवल किशोर सिंह

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 430 Views
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