मेरी सुध बुध खो गयी ..बांके बिहारी
जब से देखा बांके बिहारी, तेरा दरबार मैने
सुध बुध सी खो चूका हूँ, तब से श्याम मेरे
अखियाँ तेरे दरस को तरसती रहती हैं
कब आकर फिर नीर बहाऊंगा, अब श्याम मेरे !!
मेरे जीवन का अब आधार तुम्ही हो बिहारी
मेरे जीवन न , कभी बने किसी कि लाचारी
हर सुबह और शाम पुकारू मैं बिहारी बिहारी
एक बार दरस दिखा जाओ, मेरे मोहन बांके बिहारी !!
घुट घुट कर जिन्दगी , अब मेरी गुजरती नहीं है
सुबह के बाद शाम और फिर रात मेरी कटती नहीं है
किस दिन मेरे पग फिर से तेरे दर पर आयेंगे
यह सोच सोच कर जिदगी मेरी कटती नहीं है !!
तारा है सारा जमाना प्रभु, आप अब मुझ को भी तारो
डगमगा रही है मेरे जीवन कि नईया, प्रभु अब तुम ही सवारों
विरह का जीवन आप कि झलक पाने को तरसता है ,मेरे स्वामी
आकर मेरी डूबती हुई कश्ती को , भगवन लगा दो किनारे !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ