मेरी शक्ति
जम गयी हूँ
इतना कि अब
पिघल न सकूँ
वाह्य ऊष्मा से
ठहर गयीं हूँ
कि अब
बह न पाऊँ,
ठहराव मेरी
कमज़ोरी नहीं
झील सी गहराई है
अपने भीतर मैंने
ख़ुद को खोज
लिया है
अब जमूं या ठहरू
सब कुछ
संचालित है
मेरी शक्ति से
मेरे लिए।
जम गयी हूँ
इतना कि अब
पिघल न सकूँ
वाह्य ऊष्मा से
ठहर गयीं हूँ
कि अब
बह न पाऊँ,
ठहराव मेरी
कमज़ोरी नहीं
झील सी गहराई है
अपने भीतर मैंने
ख़ुद को खोज
लिया है
अब जमूं या ठहरू
सब कुछ
संचालित है
मेरी शक्ति से
मेरे लिए।