मेरी दिवाली
निश्छल पावन प्रेम की
परिणिति है दीवाली
सत्कर्मों की एक खूबसूरत
अनुभूति है दीवाली
क्या कुछ नही दिया तुमने
इस मेरे सूने जीवन में
तुम हो तो ही सब है
वरन बेमानी है दीवाली
एकाकी जीवन में मुझको
एक मजबूत आधार दिया
भटक रहे चित्त को मेरे
ध्यान का दृढ़ संसार दिया
कोई नही था पास मेरे जब
तुमने मुझको प्यार दिया
अंधियारे जीवन में मेरे
तुम्हारा होना ही दीवाली है
तुम्हारा होना ही दीवाली है
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (मध्यप्रदेश)
४.११.२०२१