मेरी जिंदगी का एक साल और कम हुआ
ये ऐतिहासिक साल 2020 भी खत्म हुआ,
मेरी जिंदगी का एक साल और कम हुआ।
इतनी इच्छाएं, ज़रूरतें हम पालते हैं,
क्या कभी खुद के लिए समय निकालते हैं,
एक काम पूरा भी नहीं हो पाता है,
कि दूसरा जिम्मेदारी सर पर चढ़ जाता है,
अब तो कोरोना का भय भी बेदम हुआ,
मेरी जिंदगी का एक साल और कम हुआ।
जाने वाले तो बस यादों में रह गए,
हम तड़प-तड़पकर वो गम भी सह गए ,
कुछ पल खुशियों का एहसास होता है,
मन तो चंचल है फिर उदास होता है,
सुख – दुख का मिलन तो हरदम हुआ,
मेरी जिंदगी का एक साल और कम हुआ।
नूर फातिमा खातून “नूरी”(शिक्षिका)जिला-कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक/स्वरचित