“मेरी अम्माँ दुनिया कि सबसे खुबसूरत नायिका”
बहुत सयंमित दिनचर्या जीने वाली
कुछ ज्यादा ही संयम से चलने वाली
कभी खाली नहीं बैठे नहीं देखा
निरंतर कर्म को मान्यता देते देखा
मै कहती……………
अम्माँ तुम रोज पूजा नहीं करती ?
व़ो कहती …………..
इश्वर का दिया काम ही पूजा समझ के करती
उन्होंने …………
हमें कभी जात – धर्म का भेद नहीं बताया
हमेशा धैर्य और संतोष ही सीखाया
उनके पास ………….
मैंने कला का भण्डार देखा
शब्दों का विशाल अम्बार देखा
पल ही में कुछ गढ़ लेती
पल ही में कुछ रच देती
व़ो …………..
हर बात में एक कहावत कहती
मेरी नादानियों पे खूब हँसती
उनकी खूबियाँ ……….
अभिनय में उनका कोई सानी नहीं
व़ो कभी गलत हैं ये बात कभी मानी नहीं
उनके हाथों में कमाल का स्वाद
बूढें – बड़े – बच्चें सब उनको करते याद
उनको काम करते देख झूट जाता है पसीना
उनके इस अंदाज को ही शायद कहते है जीना
मुझको कहती ………..
तू बातों की है रानी
बचपन से ही बड़ी सयानी
अपने दर्द सदा छुपाये
बातों से तू खूब हँसाये
पल में तोला पल में माशा
तुझसे तो भगवान बचाए
अम्माँ और मै ……….
बचपन का एक सपना
अपनी अम्माँ जैसा दिखाना
अम्माँ की साड़ियाँ पहनना
खुद को क्या से क्या बनते देखना
अम्माँ की साड़ियाँ कमाल
मैंने आज भी रक्खी है संभाल
उनके हाथों का स्वाद
मैंने चुरा कर रक्खा है अपने साथ
उनका खिलोनें गढ़ना
उनका कविता लिखने का एहसास
पता नहीं कब ये सब
चुपचाप आ गया मेरे पास
अम्माँ से हमेशा लड़ती
लेकिन रसोईं में उनके साथ ही रहती
अपनी सारी परेशानियाँ उनसे वही कहती
व़ो हँसती – गुस्सा होती – समझाती
परेशानियों के हल निकालती
और धीरे – धीरे मुझे और ज्यादा
समझदार बनाती जाती
मेरी नज़रों में अम्माँ ……….
मेरे अन्दर की हर अभिव्यक्ति
एकदम उन्हीं का बयान – ए – तरीका
मेरे लिए मेरी अम्माँ
दुनियाँ की सबसे खूबसूरत नायिका !!!
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा – 04 – 02 – 12 )