मेरा फ़ोन तो उठा लो ।
पता नही, कब क्या हो जाये
अब तो गुस्सा मिटा दो
चलो, मैंने माफी मांग ली
मुझ पर ही सब इल्ज़ाम लगा दो
मिलेंगे तो , दो थप्पड़ भी लगा देना
चुपचाप सुन लेंगे , सब दिल की सुना देना
हर तरफ ख़ामोशी है, मौत पहरे पर है
डर की सिकन सबके चेहरे पर है
हर पल आशंका एक अनहोनी होने का है
मुझे मौत का डर नही,डर तुम्हे खोने का है
मैं बहुत अकेला हूँ, डर रहा रहा हूं
मेरा छोड़ो , मैं जैसा भी ठीक हूँ
तुम अपना तो बता दो,
और कुछ न करो
मेरा फ़ोन तो उठा लो ।