मेरा हौंसला हैं पिता
मेरा हौंसला है पिता
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जीवन पथ में संघर्षं कि तपन,
और हौंसलों की उड़ान है
तूफानों में डगमगाती नौका के,
खैवनहार होतें हैं पिता।
मेरा हौंसला हैं पिता—-
बचपन में नींद न आने पर,
मुझको अपने पेट पर सुलाकर,
बिछौना है बन जाते !
बच्चों के सपनों को पूरा करने में,
अपनी जान लगा देते हैं पिता।।
मेरा हौंसला है पिता—-
प्यार का सागर बन,
हमेशा प्रेम रसधार बरसा,
दुखों को दूर कर!
सदा मुस्कुराना सिखाया,
बुलंद हौंसलों से अपने!!
एक उड़ान देकर ,
पथ के कांटे चुनकर,
फूलों सा महका कर,
गुलिस्तां को सजाते हैं पिता।।
मेरा हौंसला हैं पिता—–
सुषमा सिंह *उर्मि,,
कानपुर