मेरा हाथ
मेरा हाथ
तेरे हाथों में
ऐसे जुड़ जाता है
जैसे बना ही है
सिर्फ़ इन्हीं हाथों
के साथ के लिए
अब और क्या
सांसों में घुल
गई है खुशबू
तेरी
हर आहट में
तेरे आने की
शहनाई है
होंठ हिलते हैं
तेरे नाम के साथ
खामोशी भी
तेरे अक्स की
परछाई है।