मेरा संबल
मेरी आँखों में,
मेरा सपना सही सलामत है।
वह मेरे ह्रदय की,
सबसे अनमोल अमानत है।
राहों में हालातों ने,
बेशक कांटे बोए हैं।
जीवन की पगडंडी पर
उनका भी स्वागत है।
काट-छाॅंट कर राह बनाना,
बाधाओं से टकरा जाना।
यह तो मुझको बचपन से
मिली हुई विरासत है।
चाहे टूटे तन का संबल
तूफां के थपेड़ों से।
नहीं टूटेगा मन का संबल
यही तो मेरी ताकत है।
सिर पर प्रभु का हाथ रहे,
सत्कर्मों का साथ रहे।
जीवन को यूं जी लेना भी,
बहुत बड़ी नियामत है।
— प्रतिभा आर्य
अलवर (राजस्थान)