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31 May 2020 · 1 min read

मेरा शहर

अजब हो गया मेरे शहर का सिलसिला
घर पास पास और दिलों में हो गया फासला

हर शख्स है पढ़ा लिखा, न कोई अनपढ़ रहा
बाग हो जैसे कोई सुगंध के बिना खिला

इंसान हैं देखो सो रहे फुटपाथ पर
कुत्तों को बिस्तर मखमली मिला

बच्चे बाहर खेलते नहीं सब खेल दिए भुला
इमारतें हैं अब वहां, जहां था मैदान खुला

Language: Hindi
5 Likes · 5 Comments · 468 Views
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