मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
मेरा मन उड़ चला पंख लगा के बादलों के
पार ………..
महकती चल पड़ी संग संग मेरे मस्त बयार….
कितना प्यारा लगे खुला आसमान
थामे हुए नीली चादर……
धीरे धीरे …… चला दिन साझ. ..की बेला. पार
दीप जलेंगे…रात बढ़ेगी ..अंधकार का
राज बनेगा…..फिर चीर कर निकलेगा
सब उजाले ले के आयेगा सवेरे का निखार
सूरज की किरनें लेके आती है
संदेसा..गर्माहट का चमकाहट का
शुरू करो सब काम संभालो
अपने अपने भैया…..
आज करनी ना पड़े देखो किसी
को किसी की गुहार………shabinaZ
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