मेरा दिन भी आएगा !
गाँव का एक भतीजा,
अठारह वर्ष का वह,
कह रहा था-
अंकल, मेरा दिन भी आएगा ।
जब पहुँचा वह,
तीस,
तब भी कह रहा था–
अंकल, मेरा दिन भी आएगा ।
जब हो गया,
चालीस का,
तब भी वह आशावादी था–
अंकल, मेरा दिन भी आएगा ।
जब हो गया पचास का,
सन्तान भी उसके वयस्क ,
तब भी वही दोहरा रहा था–
अंकल, मेरा दिन भी आएगा।
एक दिन अचानक
उसे सिने मे दर्द हुआ
डॉक्टर ने कहा-
अब इसका दिन आ गया ।
यह सुनते ही चारों तरफ,
अफरा-तफरी मचा,
शुभचिन्तकों का इकट्ठा होते देख कहा–
अब सचमुच मेरा दिन आ गया ।
घर की छत की ओर देखते हुए,
गांव का वह बूढ़ा भतिजा,
अपने दिन का इंतजार न करने को बता रहा था–
धन्य है, वह जो आज खुलकर हंसता, बात करता ।
#दिनेश_यादव
काठमाण्डू (नेपाल)