मेरा ठिकाना-4—मुक्तक—डी के निवातियाँ
क्या करोगे जानकर तुम मेरा ठिकाना
मैं ठहरा घुमक्कड़ रिवाजो का दीवाना
रहता हूँ सफर -ऐ- जिंदगी में देह संग
जाने कब छूट जाये ये मृद आशियाना !!
!
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डी के निवातियाँ______!!!
क्या करोगे जानकर तुम मेरा ठिकाना
मैं ठहरा घुमक्कड़ रिवाजो का दीवाना
रहता हूँ सफर -ऐ- जिंदगी में देह संग
जाने कब छूट जाये ये मृद आशियाना !!
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डी के निवातियाँ______!!!