मेरा गुरूर है पिता
सुनो मेरा हर्ष,मेरा गर्व और मेरा गुरुर है पिता ।
मेरी सजल इन अंखियों का कोहिनूर है पिता ।।
मेरे पिता को है फक्र मुझपे और फ़िक्र है मेरी ।
इसीलिए तो मैं कहती हूं कि मेरा गुरूर है पिता ।।
इसीलिए तो मैं कहती हूँ…………
एक दिन पूछा पिता से ज्यादा किससे प्यार है ।
बोले बेटा तो वृक्ष है पर मेरी बिटिया संसार है ।।
इसीलिए तो मैं कहती हूँ………….
जन्म से पहले कहते थे मुझे बेटी की चाहत है ।
बेटा दीप बने ना बने बिटिया घर की रौनक है ।।
इसीलिए तो मैं कहती हूं……..
कहते हैं बिटिया तुम तो किस्मत साथ लाई थी ।
अपने पिता की जाॅब की तूं ये सौगात लाई थी ।।
इसीलिए तो मैं कहती हूं………
मेरे पिता ने मुझको आज यूं काबिल बनाया है ।
भाई के साथ पढ़ाकर मुझमें हौंसला जगाया है ।।
इसीलिए तो मैं कहती हूं……….
सब हैं बहुत प्रसन्न सुनो आज शादी की बेला है ।
बेटी की जुदाई में मगर पिता का दिल अकेला है ।।
इसीलिए तो मैं कहती हूं……….
मुझको गले लगा के खुद हैं आज आंसू छिपा रहे ।
अपनी लाडली को अपने हाथों वे डोली बिठा रहे ।।
इसीलिए तो मैं कहती हूं……….
“विनोद” पिता भगवान ना सही फ़रिश्ते जरूर हैं ।
बेटियों के लिए पिता सदा से ही आँखों का नूर हैं ।।
इसीलिए तो मैं कहती हूं……….