मेरा ख्वाब
आज रात के तीसरे पहर देखा मैंने एक ख्वाब,
मैं थी, तुम थे, हम-दोनों थे एक दूजे के साथ।
भटकते रहें हम राहों पर थाम कर हाथों में हाथ,
रहें ख़ामोश हम दोनों फिर भी पुरी हो गई बात।
थके दोनों के क़दम और लौट आए घर को,
कहा मुझसे प्यार से बनाओं और खिलाओ मुझको।
डाल गले में बाहें बस इतना हीं कहा तुमसे,
दिल करता है तुम्हें सताऊं और इतना सताऊं की बस सताती हीं जाऊं।
हो कर परेशान तुम कहो बस कर मेरी नानी तू बैठ
ख़ाना मैं पकाऊं,
ख़ाना मैं हीं पकाऊं और तुझे अपने हाथों से खिलाऊं।
सुन कर तुम्हारी प्यारी बातें मैं ज़ोरों से खिलखिला दूं,
लग कर तुम्हारे सीने से एक प्यार का नगमा सुना दूं।
था कितना खूबसूरत, है ना मेरा ख्वाब मेरे हमसफ़र,
लड़ते झगड़ते,रुठते मनाते, हंसते खेलते, काश कि
हमारा कट जाता जिंदगी का सफ़र।