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26 Jul 2021 · 1 min read

-मेघा कजरारे

श्याम मेघावलि निराली बदरा हैं झुके झुके,
मनुज सब सो गए निजआलय गर्मी से थके थके,
घना हरा वृक्ष अकेला किसकी है वो राह तके,
चंचल मतवाली सुखद समीरा अब तेज मत बहे,
संग ना ले जाना इन बदरा को अब है जो नीर भरे,
ओ मेघा कजरारे दिखते मनमोहक हिय दुलारे,
अब तो अमृत जल बरसा दे निस्पृह मन में चाहत दे,
सब व्याधि रूग्णता सकल जग की मिटा दे,
नम होगी वसुधा पेड़ पौधे खिल जाएंगे
मुस्कुरा के,
सब जीव जंतु गीत गाएंगे निकल नीड़ ढोल बजाके,
सुनसान पड़ा यह सारा उपवन इसमें सबको ला दें,
नाचेंगे मोर, गुनगुनाएंगी कोयल टहनी पर डालें डोरे।।

– सीमा गुप्ता अलवर (, राजस्थान)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 359 Views
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