मृदुल मधुर अहसास
सकल जहाँ स्वर लय में वंदन , मृदुल मधुर अहसास l
पकड़ हाथ हम चलें साथ प्रिय , रचें नवल इतिहास ll
छवि मंथन मन्मथ मन मोहे , उमगि जलधि अनुराग l
कुसुमित कंचन कलश प्रेम रस, जस अरविन्द तड़ाग ll
राज किशोर मिश्र ‘ राज ‘ प्रतापगढ़ी
सकल जहाँ स्वर लय में वंदन , मृदुल मधुर अहसास l
पकड़ हाथ हम चलें साथ प्रिय , रचें नवल इतिहास ll
छवि मंथन मन्मथ मन मोहे , उमगि जलधि अनुराग l
कुसुमित कंचन कलश प्रेम रस, जस अरविन्द तड़ाग ll
राज किशोर मिश्र ‘ राज ‘ प्रतापगढ़ी