मृत्यु या साजिश…?
मृत्यु या साजिश…?
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जय जवान,जय किसान का नायक,
कर्तव्य की बलि वेदी पर ,
ताशकंद में मृत हुआ था ।
रोया था सारा भारत तब,
ग्यारह जनवरी छियाछठ को जब।
गुदड़ी का लाल बिछुड़ा था…
याद करो सन् पैंसठ की लड़ाई,
पाकिस्तान से जंग हुई थी।
हाजीपीर ठिठवाल इलाक़ा,
अपने वीर जवानों ने जीती थी।
भारत के बढ़ते कदम से,
विश्व में हलचल छायी थी।
दबाव बनाकर अयूब खान ने,
शांति समझौता करवाई थी।
जिसने की थी देश की सेवा,
निस्वार्थ भाव और विचारों से।
उसी को मिलकर किसी ने था लपेटा,
राजनीति के गलियारों से ।
साजिश थी या मृत्यु प्राकृतिक,
किसने समझ पाया था ।
भारत अपने लाल सपूत के ,
मृत्यु वेदना में जमकर रोया था।
रामनाथ निज रसोइया को,
किसने जाकर धमकाया था ।
और कहाँ से उस रात्रि में,
आलू पालक आया था ।
दूध इसबगोल संग जान की साजिश,
डाचा में कहर बरपाया था।
जड़ें कितनी गहरी साजिश की ,
अतीत में झाँककर देखो ।
एक-एक साक्ष्य कैसे मिट गया था,
ताशकंद की फाइल कुरेदो।
इतिहास नहीं पलटोगे यदि तुम,
देश पलट जाएगा ।
भारत माँ के वीर शहीदों का,
बलिदान यूँ ही व्यर्थ जाएगा ।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०२ /१०/२०२१
मोबाइल न. – 8757227201