मृत्यु एक कटु सत्य
मृत्यु आरंभ हैं एक अन्त का, मृत्यु अन्त हैं शुरुआत की।
मृत्यु डर हैं बेकार का, मृत्यु पथ हैं मोक्ष के द्वार का।।
मृत्यु सत्य हैं संसार का, मृत्यु पहरेदार हैं जीवन के सार का।
मृत्यु अटल हैं विधान का, मृत्यु अमिट हैं प्रमाण का।।
मृत्यु दर्द हैं बेकार का, मृत्यु सोच हैं विकार का।
मृत्यु जीवन का एक सार हैं, मृत्यु सच्चा पहरेदार हैं।।
मृत्यु काल हैं विकराल हैं, मृत्यु निश्चित हैं हर हाल हैं।
मृत्यु प्रारंभ हैं एक अन्त का, मृत्यु अनंत हैं शुरुआत की।।
मृत्यु मुक्त हैं हर आस से, मृत्यु मुक्त हैं विनाश से।
मृत्यु आस हैं भगवान की, मृत्यु हर सांस हैं इंसान की।।
मृत्यु द्वार हैं संसार का, मृत्यु मुक्ति हैं अभिसार का।
मृत्यु हर घड़ी हैं चल रही, मृत्यु हर पल हमें निगल रही।।
मृत्यु किस रूप में कब आएगी, मृत्यु बता के ना आएगी।
मृत्यु निश्चित हैं हर सांस की, मृत्यु पहचान हैं विश्वास की।।
मृत्यु मीत हैं मनमीत हैं, मृत्यु अनसुना संगीत हैं।
मृत्यु प्यारा सा एक गीत हैं, मृत्यु अन्त सफर की रीत हैं।।
मृत्यु मान हैं अपमान हैं, मृत्यु सभी की पहचान हैं।
मृत्यु मुक्त हैं हर मोह से, मृत्यु ललकारती हर ओर हैं।।
मृत्यु सर्वव्यापी काल हैं, मृत्यु का रूप बड़ा विकराल हैं।
मृत्यु आज नहीं तो कल हैं, मृत्यु आने वाला पल हैं।।
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“ललकार भारद्वाज”