मुहावरों को सही करने का वक़्त / DR. MUSAFIR BAITHA
मुहावरों को सही करने का वक़्त
—————————————-
~कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली! ×××
~कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू बामन!√√√
पहले से चली आ रही लोकोक्ति में ‘तेली’ का प्रयोग होता आया है जो गलत है। तेली के बदले बामन का प्रयोग करना सही होगा।
चली आ रही कहावत को किसी सवर्ण ने बनाया होगा, हमें नई राह बनानी है, नए शब्द और मुहावरे बनाने होंगे तभी हिंदी धीरे धीरे सवर्ण विकार से मुक्त हो सकेगी।
कहावत के भाव के मुताबिक राजा भोज के प्रतिपक्ष में निरीह प्रजा से कोई आदमी को रखना होगा, लेकिन इस आदमी को सवर्ण ही होना चाहिए, क्योंकि सही कंट्रास्ट कंस्ट्रक्शन के लिए राजा की जात का यानी सवर्ण-जात का कोई अदना व्यक्ति ही शुटेबल होगा।
# मुहावरा सही करना ज़रूरी, और यह प्रभावित पक्ष ही करेगा, आक्रमणकारी पक्ष का प्रचण्ड प्रगतिशील और वामी भी ऐसे मुहावरों को ध्वस्त कर नए और समय-संगत मुहावरों की रचना के लिए आगे न आएगा।
प्रगतिशीलता एवं वामिता की अपनी सीमा है और वह रहेगी ही। सहानुभूति और स्वानुभूति का फ़र्क़ तो रहना ही रहना है!